मुंबई विश्वविद्यालय के संगीत विभाग द्वारा 3 सितंबर 2024 को प्रभात संगीत पर कार्यशाला

मुंबई विश्वविद्यालय के संगीत विभाग द्वारा 3 सितंबर 2024 को प्रभात संगीत पर  कार्यशाला 

आज मुंबई विश्वविद्यालय के संगीत विभाग ने आनंद मार्ग प्रचारक संघ की बौद्धिक और सांस्कृतिक शाखा, रेनेसां यूनिवर्सल (RU) और रेनेसां आर्टिस्ट्स एंड राइटर्स एसोसिएशन (RAWA) के सहयोग से सांताक्रूज़ के सांस्कृतिक भवन में श्री प्रभात रंजन सरकार द्वारा रचित और स्वरबद्ध प्रभात संगीत पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रभात संगीत के गायन से हुई। मुंबई विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य डॉ. विश्वंभर जाधव मुख्य अतिथि थे। मुंबई विश्वविद्यालय के संगीत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. कुणाल इंगले ने स्वागत भाषण दिया और मुंबई विश्वविद्यालय के संगीत विभाग के सहयोग से प्रभात संगीत पर इतनी सुंदर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित करने के लिए RU और RAWA के प्रयासों की सराहना की।  मुंबई विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य डॉ विश्वंभर जाधव मुख्य अतिथि थे और उन्होंने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। सभी अतिथियों ने श्री श्री आनंदमूर्तिजी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। डॉ विश्वंभर ने संगीत, कला, साहित्य, दर्शन, शिक्षा आदि के क्षेत्र में श्री पी.आर. सरकार के बहुमुखी योगदान पर प्रकाश डाला। आचार्य दिव्यचेतनानंद अवधूत, केंद्रीय आरयू और आरएडब्ल्यूए सचिव ने मुख्य भाषण दिया। उन्होंने प्रभात संगीति के सार पर प्रकाश डाला। सबसे पहले उन्होंने कहा कि प्रभात संगीत का अर्थ है नई सुबह के गीत। उन्होंने कहा कि प्रभात संगीत हमारे हृदय की भावना है, हमारे हृदय की अभिव्यक्ति है और यह हमारे हृदय की स्याही से लिखी गई है। श्री श्री आनंदमूर्तिजी ने आठ वर्षों के भीतर आठ अलग-अलग भाषाओं में 5018 गीतों की रचना की है  उन्होंने कहा कि मनुष्य की संपूर्ण पूर्णता और अपूर्णता ही मानवता है और जब हम महान और उच्च विचार प्राप्त करते हैं तो इसे मानवतावाद के रूप में जाना जाता है। अतीत का मानवतावाद, वर्तमान का मानवतावाद और नव व्याख्यायित भविष्य का मानवतावाद नवमानवतावाद है। प्रो. करुणा शंकर उपाध्याय, वरिष्ठ प्रोफेसर, हिंदी विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय, प्रो. मनीषा कुलकर्णी, संगीत विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय और डॉ. भाग्यश्री वर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, अंग्रेजी विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय ने प्रभात संगीत के काव्यात्मक और साहित्यिक पहलुओं पर बात की। यानी उपाध्याय, गौरी मिश्रा। श्रावस्ती मोहिते। पद्मजा पाटिल, इशानी पाटणकर, लाख्यज्योति बोरूआ, श्रीकृष्ण चव्हाण और सौरव चार (संगीत विभाग के छात्र) ने इस राष्ट्रीय कार्यशाला में बंगाली, हिंदी और संस्कृत प्रभात संगीत का गायन किया और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।








 

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